Guar Farming: ग्वार के उत्पादन से ले सकते हैं अच्छा मुनाफा
बिजाई का समयः पछेती किस्म की मध्य जुलाई में करें
बीज उत्पादन के लिए पछेती पकने वाली किस्मों की बिजाई मध्य जुलाई में करें। जुलाई के तीसरे सप्ताह के बाद बीज की पैदावार में काफी कमी आ जाती है। अगेती पकने वाली किस्मों एचजी 365 व एचजी 563 की अधिक पैदावार लेने के लिए बिजाई जून के दूसरे पखवाड़े में करते हैं। एचजी 870 व एचजी 2-20 की बिजाई जुलाई के प्रथम पखवाड़े में करनी चाहिए। इस समय बिजाई करने से सिंचित क्षेत्र में राया की फसल भी समय पर बीजी जा सकती है। एच.जी. 870 व एच. जी. 2-20 की बिजाई के प्रथम प्रथम पखवाड़े में में व करनी चाहिए।
फफूंदनाशकों से बचाएगा बीजोपचार
फसल को बोने से पहले बीज उपचार करना जरूरी है। अन्य दलहनी फसलों की भांति ग्वार के बीज को राइजोबियम व पीएसबी कल्चर से उपचारित करें। इससे फफूंदनाशकों पर आने वाले खर्च से बच सकते हैं। 6 लीटर पानी में 6 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन घोल लें और इस घोल में 6 किलोग्राम ग्वार का बीज 20-30 मिनट तक भिगोएं तथा बाद में 30- 40 मिनट बीज को छाया में सुखाकर बिजाई करें।
तेला आक्रमण से बचाना जरूरी
कभी-कभी फसल पर तेला आक्रमण करता है। इसकी रोकथाम के लिए किसान 200 मिली मैलाथियान 50 ईसी को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से हस्तचालित यंत्र से छिड़काव करें। यदि फसल चारे के लिए उगाई गई हो तो छिड़काव के 7 से 10 दिन तक पशुओं को यह फसल न खिलाएं।
बीज की मात्रा, बिजाई विधि व उर्वरकों का रखें विशेष ध्यान
एक एकड़ के लिए 5-6 किलोग्राम बीज अगेती पकने वाली किस्मों एचजी 563, एचजी 870 व एचजी 2-20 और 7-8 किग्रा मध्यम अवधि वाली किस्म एचजी 75 के लिए पर्याप्त रहता है। पौधों में दूरी 15 सेंटीमीटर रखें। बिजाई के समय 16 किग्रा फास्फोरस (100 किग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट) और 8 किग्रा नाइट्रोजन (17 किग्रा यूरिया) प्रति एकड़ के हिसाब से करें।